सौन्दर्य का दर्शन हुआ
हृदय उस पर अर्पण हुआ
एक ओर असुर शूरवीर था
दूजा चंचल मन विचलित गंभीर था
प्रस्ताव विवाह का प्रस्तुत किया
इंकार एक पल न मंजूर किया
छेड़ा युद्ध का प्रतिशोध
बाड़ों की वर्षा थी चारों ओर
नवरात्र बीती इस मदभेड़ में
अंत था असुर का समीप में
विकट रूप धारण शक्ति ने संहार किया
ग्रीवा अर्पण महिषासुर ने नतमस्तक किया
चामुण्डा भी काली भी तू
शेरावाली रखवाली भी तू
नवरात्र की शुभकामनाएँ :)
Lovely poem echoing the Navratri feel, Happy Navratri to you and your family :)
ReplyDeleteSame to you dear. Thank you! :)
DeleteBeautiful :)
ReplyDeleteHappy Navaratri to you and your family :)
Happy Navratri to you & your family too dear! :)
DeleteHappy dussehra
ReplyDeleteI am your follower number 8
Do follow back if you like
Regards
vandana
http://vanduchoudhary.blogspot.in/
Happy Dusshera to you too dear! :)
DeleteYour hindi poems are beautiful. Reading and commenting a bit late, sorry for that. :)
ReplyDeleteUmmmm.....I am ready to forgive you as I am glad you like them. :)
Delete