मैल से उत्प्पन हुआ
मन से मैल मिटाए ,
रूकावटों की दीवारें तोड़े
और हृदय में बस जाये।
है लम्बा उदर उसका
गज जैसा उसका स्वरुप ,
व्यंग का विषय जो समझा
हुआ चंद्रमा का रूप कुरूप।
व्यर्थ है धरती का भ्रमण
जिसके मात-पित्र हैं जग स्वरुप,
इस विशालरूपी की शरण में
तुच्छ मूषक भी है बहुमूल्य।
यह है वही जिसे प्रिय हैं मोदक
जिसने तोड़ा घमंड कुबेर का
भूल की जो साधारण समझ,
जग का स्वामी, जग का सेवक।
विघ्नहर्ता विघ्नविनाशक
गणपति गणेश गजनायक।।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि सम्प्रभ:
निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्वकार्येशु सर्वदा।।
गणपति बाप्पा मोरर्या, मंगल मूर्ति मोरर्या।।
Happy Ganesh Chaturthi!!
बेहद सुन्दर रचना
ReplyDeleteThank you Arun! :)
DeleteBeautiful hymn :)
ReplyDeleteHappy Ganesh Chaturthi..
Best wishes to you too! :)
Thank you beautiful! :)
DeleteAww :) :)
Deletelovely poem,...
ReplyDeleteMay Lord Ganesha bestow his immense love on you and your loved ones :)
Thank you dear! thank for your lovely wishes :)
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